Thursday 3 December 2020

तुझे आदत है

तुझे आदत है 

अपनी हर ख्वाहिश को

अपने ही सीने में दफ्न करने की....

तो फिर सुकूं भला

मेरे हिस्से आता कैसें

मैं भी तो तुम्हारी ख्वाहिश ठहरी.......

तुझे आदत है 

अपनी हर ख्वाहिश को

अपने ही सीने में दफ्न करने की...

मगर आदत ही तो है...

और आदतें तो बदली भी जा सकती है...है ना...।