और प्रेमिल व्यक्तियों की कायरता से जूझना
जीवन को तहस-नहस कर गया...
साहसी के पास हृदय नहीं मिला
और प्रेमिल के पास साहस...
प्रेमिल हो मगर साहसी ना हो
तो तुम्हारे प्रेम के कोई मायने नहीं रह जाते...
प्रेम तो नाम ही प्रेमी के साथ खड़े रहने का है
उसकी परवाज़ के लिए
उसके आसमान के लिए..
दुनिया से भी लड़ जाना है प्रेम...
बिना साहस के कैसे लड़ोगे..?
कैसे साथ दोगे..?
जो साहसी नहीं हो सकता
उसका प्रेम फिर सामने वाले के लिए
बस पीड़ा ही रह जाता है।