पहली बार जब
अपनी नन्हीं-सी भांजी को गोद में लिया
फिर महीने-भर उसके साथ रही
उसे खिलाना-पिलाना लोरी गाकर सुलाना
उसकी तबीयत खराब हो जाने पर बेचैन हो उठना
सब आदत बन गए..
एक बार उसे नहलाते हुए
उसके कोमल-से गाल को
जब मेरा नाखून छू गया
और वो रोने लगी..
तो उस दिन
उस वक़्त की मेरी सबसे अजीज चीज
मेरे लंबे और खूबसूरत नाखूनों को
मैंने बिना सोचे और बिना किसी पीड़ा के
उसी वक़्त काट दिया...
वो बच्ची, उसकी मुस्कराहट, उसका सुकून
अब मेरे लिए सर्वोपरि हो चुका था....
ऐसा फिर हुआ,
जब मैं किसी पुरुष के प्रेम में पड़ी...
शायद,
हम स्त्रियों के पास सिर्फ मातृत्व होता है... ।