17 वर्षीय एक किशोर का
अपनी बहन का गला काटकर
घर की चौखट पर
किसी योद्धा के पारितोषिक की तरह सजाना...
एक पिता का
अपनी बेटी की कटी हुई मुंडी लेकर
पूरे गांव में घूमना...
एक पिता और भाई द्वारा
एक नए जीवन को जन्म देने वाली बहन-बेटी को
बड़ी बेरहमी से.. इस दुनिया से रुख़सत करना...
ये सब इज्जत की नहीं
इज्जत की गलत परिभाषाओं से जन्मे
दुस्साहस की कहानियां हैं.....।