Tuesday 21 December 2021

ऑनर किलिंग

17 वर्षीय एक किशोर का
अपनी बहन का गला काटकर 
घर की चौखट पर
किसी योद्धा के पारितोषिक की तरह सजाना... 
एक पिता का
अपनी बेटी की कटी हुई मुंडी लेकर 
पूरे गांव में घूमना...
एक पिता और भाई द्वारा
एक नए जीवन को जन्म देने वाली बहन-बेटी को
बड़ी बेरहमी से.. इस दुनिया से रुख़सत करना...
ये सब इज्जत की नहीं
इज्जत की गलत परिभाषाओं से जन्मे
दुस्साहस की कहानियां हैं.....।

Tuesday 30 November 2021

महज शब्द नहीं

गे..

लेस्बियन..

बाईसेक्सुअल..

ट्रांसजेंडर.. 

महज शब्द नहीं...

कई जीती-जागती

जिंदगियों का यथार्थ है ये...

मगर हमारे संकीर्ण सामाजिक ढ़ांचों में

ये शब्द तक नहीं समा पाते.. 

ना जाने.. ये लोग कैसे जीते होंगे.....


Monday 29 November 2021

दिल की हर दुआ

तेरे मासूम से चेहरे को

अपने हाथों में थामकर

लबों के जरिए दिल की हर दुआ

तेरी पेशानी पर लिख देना चाहती थी मैं...

                            पेशानी(माथा/मस्तक)


तेरी बांहों में अपनी बांहें डालकर

किन्हीं अनजाने से रास्तों पर

देर तक चुपचाप

तेरे संग चलना चाहती थी मैं... 


तेरी आंखों से होकर

मेरी रूह तक पहुंचने वाले

उस खामोश नशे को

ताउम्र पीना चाहती थी मैं...


तेरे सीने से लगकर 

तेरी धड़कनों के संगीत के

नशे में मदहोश होकर 

कहीं खो जाना चाहती थी मैं..


तेरी जिंदगी के

हर दर्द में तेरी हमदर्द

और तेरे चेहरे की मुस्कुराहटों की

वजह बनना चाहती थी मैं...


देर तक तुझे सुनते-सुनते

तेरे ही दामन में 

किसी मासूम बच्ची की तरह 

सो जाना चाहती थी मैं...


बर्फीली वादियों में

तेरी बाहों में सिमटकर 

तेरे दिल के कुछ और 

करीब हो जाना चाहती थी मैं...


सावन की मदमस्त बूंदों में 

तेरे संग भीगते हुए 

किसी मोरनी की तरह 

नाचना चाहती थी मैं...


अच्छे, बुरे, भले 

जिंदगी के तमाम रंगो से 

तेरे संग हंसते-मुस्कुराते

होली खेलना चाहती थी मैं...


बासंती पवन में

तेरे संग झूमती हुई

उस नशे को अपनी सांसों में 

घुल जाने देना चाहती थी मैं...


तुम्हें बदलने की कोशिश किए बिना 

तुम जैसे हो वैसे ही 

तुम्हें ढे़र सारा 

प्यार करना चाहती थी मैं...


तेरे होने के एहसास को 

अपने इर्द-गिर्द महसूस करते हुए 

जिंदगी की शाम को 

ढ़ल जाने देना चाहती थी मैं.....।

                 









Tuesday 23 November 2021

कवि

कवि होने का मतलब है
मानव हृदय पर
जितनी परतें चढ़ चुकी है
उन्हें हटाना...
और फिर से
हृदय की मूल अवस्था
उसके मूल स्वभाव से..
दुनिया का साक्षात्कार करवाना...।

Monday 1 November 2021

अनुभवों के लंबे कारवां में

हर वो शख़्स
शामिल रहा है मेरी शख्सियत में..
जो मौजूद रहा
अनुभवों के लंबे कारवां में.....
किसी ने.. मोहब्बत के मायने समझाएं
तो किसी ने.. दर्द के सुलगते आकाश दिखलाये
किसी ने.. यातना की इंतहा से परिचय करवाया
तो किसी ने.. हर हाल में मुझे स्वीकार कर
मुझे फिर से खड़े होने के काबिल बनाया...
कुछ इस तरह....
हर वो शख़्स
शामिल रहा है मेरी शख्सियत में..
जो मौजूद रहा 
अनुभवों के लंबे कारवां में.....।

Saturday 30 October 2021

आकाश-सा वो.. और पतंग-सी मैं...

आकाश-सा वो
और पतंग-सी मैं....

कभी उसके पास जाके
खूब इठलाती-सी मैं..
तो कभी मुझे पास पाके
पहले से कुछ ज्यादा हसीन-सा वो....

कभी मेरी मौजूदगी से
कुछ ज्यादा ही रंगीन-सा वो..
तो कभी मेरी कमी से
कुछ बेरंग-सा वो....

कभी बदलती हवाओं के रुख के साथ
उसके कुछ करीब होती-सी मैं..
तो कभी हवाओं के बदलते रुख के साथ
मुझसे कुछ दूर होता-सा वो....

अपनी पूरी ताकत के साथ
उसे छूने की जिद में जैसे मैं
और अपने दामन में मुझे हमेशा के लिए छुपा के
अपना बनाने की चाहत में जैसें वो...

आकाश-सा वो
और पतंग-सी मैं....।



Friday 29 October 2021

मेरे इर्द-गिर्द

इक रोज मेरे ख़्वाब में

तू दबे पांव आया था.....

फिर मेरी गोद में सर रखकर

देर तक तू मुझे तकता रहा....

जहां एक हाथ से

मैं तेरा सर सहला रही थी

और दूजा तूने अपने हाथों में

थामा हुआ था....

तुम भी चुप थे

और मैं भी...

तुम्हारे और मेरे अंदर

हमारे इर्द-गिर्द

बाहर-भीतर

सब तरफ

एक रूहानी-खामोशी फैली हुई थी....

प्यार-भरी खामोशी..

सुकूं-भरी खामोशी..

फिर जब मेरी आंख खुली

तो वही सूकूं, वही प्यार, 

वही रूहानियत-भरी खामोशी..

ख्वाब से हकीकत तक उतर आई....

मेरे इर्द-गिर्द

बाहर-भीतर, सब तरफ फैल गई

बस..एक तुम नहीं थे वहां......

मगर तुम्हारे होने का एहसास वहीं था..

मेरे इर्द-गिर्द........।

 


Saturday 28 August 2021

हां.. मैं मानती हूं...

हां.. मैं मानती हूं

स्त्रियां कम भाग्यवान होती है 

बजाय पुरुषों के...

क्योंकि गढ़ा जाता है

यहां उनका दुर्भाग्य..

ठीक वैसे ही 

जैसे गढ़ा जाता है यहां

पुरुषों का सौभाग्य...।

Wednesday 11 August 2021

जिसकी रूह के हर कोने में 

उसकी दुल्हन सी रहती थी मैं.. 

वो किसी और का दूल्हा बन गया...

देखो मेरा हबीब अपनी इस दुल्हन को..

दुनिया की नज़रों में अपनी दुनियावी दुल्हन का

रकीब कर गया....

इस चेहरे से नजर हटाना भी नागवार था जिसे..

वो मेरा रांझा 

अपनी हर अदा को जीने का हक 

किसी और को दे गया..

उसकी हर बात ऐसे ही याद है 

जैसे अभी इसी लम्हें की ही बातें हो वो सब..

मगर हमें वो एक-दूजे का अतीत कर गया... 

नाम तो बहुत वीरता से भरा था उसका

मगर देखो मेरे वीर को.. 

अपने नाम से उलट

कायरता की एक कहानी दुनिया को दे गया..।

Thursday 15 July 2021

साहस-विहीन प्रेम

ताउम्र हृदय-विहीन व्यक्तियों के दुस्साहस 
और प्रेमिल व्यक्तियों की कायरता से जूझना
जीवन को तहस-नहस कर गया...
साहसी के पास हृदय नहीं मिला
और प्रेमिल के पास साहस...
प्रेमिल हो मगर साहसी ना हो
तो तुम्हारे प्रेम के कोई मायने नहीं रह जाते...
प्रेम तो नाम ही प्रेमी के साथ खड़े रहने का है
उसकी परवाज़ के लिए 
उसके आसमान के लिए..
दुनिया से भी लड़ जाना है प्रेम...
बिना साहस के कैसे लड़ोगे..?
कैसे साथ दोगे..?
जो साहसी नहीं हो सकता 
उसका प्रेम फिर सामने वाले के लिए 
बस पीड़ा ही रह जाता है।

Monday 5 July 2021

तन्हा ही रह गए वो शख्स..
तलाश जिन्हें....
अपने साथी की रही.....
ये दौर अय्याशियो का जो ठहरा...।
गिरहों को सुलझाए कैसे
हर इक शख़्स
उलझी हुई-सी पहेली है यहां....

Friday 2 July 2021

जाति के पुतले

इंसान की तलाश थी

प्रेम की तलाश थी...

मगर सब तरफ

जाति के पुतले बिखरे मिले...

ढूंढने पर भी उनमें

इंसान कहीं ना मिले..

तो फिर प्रेम की तलाश

कहां पूरी होनी थी...।

उन्हीं की राहों में

वो जो रोशन किया करते है

हर राह पर.. राह तुम्हारी...

उन्हीं की राहों में

स्याह अंधेरी-सी रात  हो जाना......

हर जलजले में जो साथ खड़ा हो तुम्हारे

बचा लेने को.. हर बला से तुम्हें....

तमाशा उन्हीं का सरेराह बना देना

काबिले तारीफ है तेरा...




















Friday 26 March 2021

देशद्रोह

स्त्री सिर्फ स्त्री नहीं होती ना

मां भी होती है...

इसलिए किसी भी समाज, देश, दुनिया की

आधारशिला होती है...

क्योंकि विकसित होता है 

किसी भी देश, दुनिया का हर बच्चा

उसी की कोख में...

और कोख की चारदीवारी में

विकसित होता है स्वस्थ रुप से वही बच्चा...

जिसकी मां शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होती है

और स्त्री का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य

दुनिया भर में सबसे निचले पायदान पर...

मगर स्त्रियों के खिलाफ हिंसा हर जगह मौजूद...

हिंसा से आर्त्त मां का स्वास्थ्य बच्चे तक जाता है

और ऐसे बनते हैं किसी भी देश के भावी नागरिक

वो नागरिक जो किसी भी देश की बुनियाद होते है...

तो क्या स्त्रियों के साथ किया गया हिंसात्मक व्यवहार

देशद्रोह की श्रेणी में नहीं आता...?


Thursday 25 March 2021

देवदास

देवदास कोई व्यक्ति 

कोई पात्र नहीं

देवदास एक मनोवृत्ति है...

इंसानों के भीतर की वह मनोवृत्ति

जिसमें डूबा व्यक्ति

अपनी जिम्मेदारियों से भागता है...

जब फैसला लेना चाहिए

तब फैसला नहीं लेता...

और साहस की जगह

कायरता को चुनता है...

खुद से भागना

पलायनवादी होना ही

देवदास होना है....।

Thursday 11 March 2021

पीड़ा का सतत् स्रोत

मंदबुद्धि, संकीर्ण,

मनोरोगी समाजों में..

प्रबुद्ध, सृजनात्मक,

संवेदन युक्त होना तेरा..

पीड़ा का सतत् स्रोत है....।

Monday 4 January 2021

सबको यहां,

जीने का शौक नहीं होता....

माहिर हैं ज्यादातर लोग,

सांसों को ढ़ोने के हुनर में यहां...।