Wednesday 21 June 2023

मेरा जीवन पितृसत्ता की भेंट चढ़ गया

मेरा जीवन पितृसत्ता की भेंट चढ़ गया 
पितृसत्ता से पहली बार मैं बारह की उम्र में टकराई 
ये मेरा रिश्तेदार था 
इसकी अभी-अभी शादी हुई थी 
बारह की उम्र से सत्रह-अठारह तक 
ये मुझे सीने पर, जांघों पर छूता रहा 
पीठ को सहलाता रहा
एक दिन तो चीजें इससे भी आगे बढ़ जाती 
अगर मैं भागकर दरवाजा बंद ना करती
सालों तक मैं डर महसूस करती रही 
मगर जिन चीजों को जानती नहीं थी 
उनके बारे में शब्द कहां से लाती 
जब चीजों की कुछ समझ आई
मैंने उस आदमी से दूरी बनानी शुरु कर दी
हर बार ये आदमी मेरे आत्मविश्वास को गिराता रहा था 
ये आदमी कहता था ,"तुम्हें बहु-बेटी के लखन नहीं है।" 
"औरतें आदमियों के पैरों की जूती होती है।" 
मुझे लगा दुनिया में कुछ बुरे लोग है 
उनमें से एक से मैं टकरा गई हूं 
और यहां से मैं जीवन में आगे बढ़ी...

जीवन में पहली बार प्रेम का अनुभव किया 
मगर नहीं.. पितृसत्ता बस मुखौटा बदल कर आई थी 
इस आदमी ने प्यार, शादी के वादे किए 
मगर इसे सिर्फ शरीर चाहिए था
जिस मक़सद से ये आया था
वो मक़सद पूरा ना होता देख 
इसने मुझे तन्हा कर किया 
जब मैंने पूछा की मेरे साथ ऐसा क्यों किया
तो उसने कहा क्यूं करते है लड़के ऐसा 
टाइम पास और क्या..
और रही बात शादी की 
तो हम लड़के पागल थोड़ी है
जो ऐसे ही शादी कर ले 
जाति में शादी करते है.. ताकि दहेज भी मिले
और समाज में इज्जत भी.. 
और हाँ दुबारा मुझे कॉल या मेसेज मत करना 
वर्ना ठीक नहीं होगा तुम्हारे लिए 
मैं लङका हूं मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा
मगर तुम्हारा बहुत कुछ बिगड़ जाएगा 
"मैं लङका हूं मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा"
उसके ये शब्द बार-बार 
मेरे दिल और दिमाग को नोचते रहते 
कि हमारा समाज इतनी ताकत देता है लड़कों को
कि वो पूरे विश्वास के साथ दुस्साहस से भरी
ऐसी उद्घोषणाएं कर पाते हैं...
 
अब तक मिले इन दोनों आदमियों ने मुझे 
समझाया की पितृसत्तात्मक समाज में स्त्रियां 
पुरुषों के लिए सिर्फ देह है 
बचपन और जवानी दोनों को तबाह कर देने वाले 
दुनिया के अब तक जाने इस सच ने 
मुझे तोड़ दिया 
मानसिक तनाव अब जीवन मैं सांसों
का साथी-सा हो गया
कॅरियर हाथ से निकल गया.....

पितृसत्ता से मैं फिर टकराई 
ये आदमी शादीशुदा था 
मगर विवाहित होने के सभी निशान 
तो बस स्त्रियों के लिए है 
पुरुषों के लिए कुछ नहीं... 
इस आदमी ने मेरा परिचय 
एक नई दुनिया से करवाया 
मासूम, सीधी, सरल 
और बेहद साधारण शक्लों सूरतवाली लड़कियों की 
वो दुनिया 
जो उन लड़कियों को 
किसी जालबाज की पत्नि बनकर मिली
जिन्हें पता तक नहीं की उन्हें 
चुना ही इसलिए गया था ताकि 
जीवन में अय्याशियां चलती रहे
उनके चुनाव के साथ ही तय हो गई थी 
कई दूसरी मासूम लड़कियों की भावनाओं 
और जीवन से खिलवाड़ की कहानियां.... 

बार-बार पितृसत्तात्मक समाज में पनपे 
इन कीड़ों से टकराती रही 
और आखिर में मैं बिखर गई..
मगर जब तक
स्त्रियों की सत्ता में भागीदारी नहीं होगी.. 
जब तक वो पुरुषों को सिर्फ पालेगी नहीं 
बल्कि उनके भीतर की मनुष्यता को भी 
पितृसत्ता से बचा कर रख पाएंगी.. 
तब तक इस दुनियाँ में 
मासूम स्त्रियों के लिए 
प्यार और सम्मान की सुकूं-भरी दुनियाँ की 
कल्पना सम्भव नहीं है....।



 

अगर आप

अगर आप 
बौद्धिक, 
तार्किक,
मनोवैज्ञानिक, 
सृजनात्मक
व संवेदनशील व्यक्तित्व रखते है.. 
तो जीवन आसान नहीं होगा आपका..
क्योंकि इनमें से एक भी योग्यता 
हमारा वर्तमान समाज नहीं रखता...।