कुप्रथा है..
जैसे सती-प्रथा,
बाल-विवाह आदि..
क्योंकि दान पर हमारा
किसी भी प्रकार का
कोई भी अधिकार नहीं रह जाता.....
दान की तो यही परिभाषा है..
इसलिए कन्यादान प्रथा नहीं
कुप्रथा है...
अपनी ही बेटी पर
अपने सारे अधिकार खो देना
कैसा महादान है.....
हाँ.. यह अपनी बेटी के प्रति
अपनी जिम्मेदारियों से भागने
का ज़रिया जरूर है....
इसलिए कन्यादान प्रथा नहीं
कुप्रथा है............।
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